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कोरबा में औद्योगिक प्रगति से हो रहा आर्थिक विकास


कोरबा/प्रथम आवाज न्यूज:  औद्योगिक विकास का असली मकसद है वहां रहने वाले नागरिकों को समृद्ध बनाना। समृद्धि का पर्याय उत्पादन और उत्पादकता के कीर्तिमानों भर से नहीं है बल्कि कारखाने से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से जुड़े नागरिकों के जीवन स्तर में उठाव और उनके चेहरों पर आने वाली मुस्कान ही विकास का असली मानदंड है। छत्तीसगढ़ में बालको की प्रगति का अर्थ सरकारी राजस्व में वृद्धि प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रोजगार के अवसरों में बढ़ोत्तरी, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिक्षा स्वावलंबन, बिजली, सड़क जैसी आधारभूत संरचना के विकास, पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन, प्रतिभाओं को आगे बढ़ने के अवसरों से भी है।

कोरबा एक औद्योगिक नगरी है जहां पर विभिन्न कंपनियां अपने विकास कार्यों से इसे नई उंचाईयों पर लेकर जा रहे हैं। इन्हीं में से एक बालको हमेशा अपने स्थानीय समुदाय के जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रयासरत रहा है। कर्मचारियों की भलाई के साथ-साथ कंपनी ने छत्तीसगढ़ के औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कटिबद्ध रहा है।

आज छत्तीसगढ़ में बिजली, कुशल श्रमिक, भरपूर खनिज तथा रॉ मटेरियल बहुतायत में उपलब्ध है जो इसे आधारभूत संरचना, स्टील, एल्यूमिनियम उद्योग आदि में निवेश के लिए सबसे आकर्षक स्थान बनाता है। बालकों ने विनिवेश के बाद दो दशकों में ऐसे रचनात्मक माहौल के प्रोत्साहन की वकालत की है जो अधिक से अधिक रोजगार और उद्यमिता के अवसरों के सृजन की बात करता है।

संयंत्र के माध्यम से प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से छत्तीसगढ़ के स्थानीय नागरिक देश के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें, इस दिशा में निरंतर प्रयास किए गए हैं। इसी का परिणाम है कि आज बालकों में कार्यरत कुल मानव श्रम का अधिकांश हिस्सा छत्तीसगढ़ का है। इसी प्रकार 84 फीसदी नियमित कर्मचारी तथा 86 प्रतिशत आउटसोर्सड कर्मचारी छत्तीसगढ़ राज्य से हैं।

कंपनी ने ‘पंछी परियोजना’ के अंतर्गत छत्तीसगढ़ की 86  बेटियों के चयन और उनकी रूचि अनुसार उन्हें उचित शिक्षा दिलाने तथा उच्च औद्योगिक उपक्रम में काम करने के लिए प्रशिक्षित कर रहा है। इस कदम से उन बेटियों को कुछ नया कर दिखाने का हौसला मिलेगा जिनकी प्रगति की उड़ान पूरी तरह से थम चुकी थी। ‘पंछी परियोजना’ की मदद से ये महिलाएं विकास की मुख्यधारा से जुड़ कर दुनिया को यह दिखा सकेंगी कि अगर जज्बे को सही प्रेरणा मिल जाए तो आकाश की ऊंचाइयां इनके मजबूत इरादों के पंखों से जीती जा सकती हैं। दिव्यांग और थर्ड जेंडर समुदाय के युवा भी वेदांता समूह की प्रगतिशील परियोजनाओं का हिस्सा बनकर देश की आत्मनिर्भरता में योगदान करने में सक्षम हुए हैं।

बालको अपने कर्मचारियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई नीतियां और योजनाएं लागू किया है। इनमें से कुछ नीतियां और योजनाएं हैं- बालको अपने कर्मचारियों के बच्चों के विकास में मदद करने के लिए पेरेंटहुड चाइल्डकेयर पॉलिसी प्रदान करता है। कर्मचारियों को नियमित समय पर वेतन तथा उत्कृष्ट कार्य के लिए निरंतर पुरस्कार एवं सम्मान देकर प्रोत्साहित किया जाता है। कर्मचारियों को उत्कृष्ट श्रेणी की सुविधाओं के साथ रहने एवं खाने के लिए क्वार्टर, हॉस्टल तथा कैंटीन उपलब्ध है। उत्पादकता बढ़ाने के लिए कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण और सुरक्षा कार्यक्रमों की व्यवस्था है।

बालको कर्मचारी अपने कर्तव्यों को सुरक्षित और कुशलता से पूरा करने के लिए कटिबद्ध हैं। कर्मचारियों और व्यावसायिक साझेदारों की भलाई, सुरक्षा और विकास को प्राथमिकता देकर बालको ने खुद को सफलता के लिए तैयार किया है।

Atul Yadav (Owner Of Pratham Awaaz)
Atul Yadav (Owner Of Pratham Awaaz)

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